(सितम्बर 2009)
– गायत्री
यह अत्यन्त ही रोचक खेल है जो छोटे समूह में खेला जाए तो बड़ा मजा आता है। छोटा समूह याने 5 से 10 बच्चे।
बच्चों को बराबर के दो समूह में बाँट दें। बीच में थोड़ा स्थान खाली छोड़ कर दोनों समूहों का आमने-सामने बैठा दें। ध्यान रखें के दोनों समूह अपनी एक ही पंक्ति बनाएँ। अब दोनों समूहों को मौका दें कि वे एक-दूसरे को ध्यान से देख लें। फिर, थोड़ी देर के लिये कोई एक समूह दूसरी ओर घूम कर बैठ जायेगा। इस दौरान दूसरे समूह के सदस्य अपने कपडों, चेहरे, आदि में कुछ बदलाव कर लेंगे। जैसे किसी लडकी ने चोटी की है तो वह बाल खोल लेगी या अलग शैली में बाल बान्धेगी, रिबिन या हेयर बेण्ड की अदला-बदली, कमीज के बटनों का क्रम बदला जा सकता है, कमीजों की अदला-बदली, कॉलर मोडना या खडी करना, बाल बखेरे जा सकते हैं, चश्मा पहना या उतारा जा सकता है, खेल के समय जूते-चप्पल पहनने की अनुमति हो तो उनमें भी अदला-बदली हो सकती है। कुल मिला कर नियत समय में उस समूह को अपना हुलिया बदलना है।
समय पूरा होने पर पुन: दोनों समूह आमने-सामने बैठ जायेंगे। अब दूसरा समूह फर्क बतायेगा। इसके बाद दूसरे समूह को अपनी वेशभूषा में बदलाव का मौका मिलेगा और पहला समूह अन्तर बतायेगा। एक दौर पूरा होने पर वयस्क/शिक्षक बच्चों को बता सकते हैं कि क्या-क्या बताना छूट गया।
बच्चे अधिक संख्या में हों तो दो से अधिक समूह बनाए जा सकते हैं। अगर बच्चे 4-5 ही हों, तो बारी-बारी से एक-एक बच्चे को कहा जा सकता है कि वह वेशभूषा में बदलाव करके आये और शेष बच्चे फर्क खोजें और बताएँ।
– सम्पर्क
एकलव्य परिसर,
मालाखेडी,
होशंगाबाद 461 001 मध्य प्रदेश