अक्तूबर 2009
पूज्य साने गुरूजी की आन्तर भारती की संकल्पना एवं आदरणीय यदुनाथ थत्ते के मार्गदर्शक मूल्यों के आधार पर सन् 1972 से आन्तर भारती मासिक पत्रिका नियमित रूप से प्रकाशित की जा रही है। हमारी कोशिश है कि आन्तर भारती पत्रिका सामाजिक परिवर्तन के मुखपत्र के रूप में स्थापित हो। सामाजिक-शैक्षणिक जागृति के आन्दोलन को समाज का आर्थिक-वैचारिक समर्थन जरूरी है।
पत्रिका के ग्राहकों की संख्या बढ़ाने का हम सदैव प्रयास करते रहे हैं। तथापि यह प्रयास उस बड़े कार्य में अपेक्षित सहयोग प्रदान नहीं कर पाता है। कागज़ और छापाई की कीमत दिनोंदिन बढ़ रही है। पत्रिका के प्रकाशन से आर्थिक लाभ तो कदापि सम्भव नहीं है। इस सन्दर्भ में आदरणीय युदनाथजी को दिये वचन का आजीवन पालन करने के लिये अपनी गाँठ का पैसा लगा कर हम घाटे का यह प्रकाशन जारी रखे हुए हैं।
धनाभाव में आन्तर भारती पत्रिका का प्रकाशन बन्द न पड़ जाए, यह हमारी प्रमुख चिन्ता है। हमारी यह उत्कट आभिलाषा है कि `साधना´ साप्ताहिक ही की तरह आन्तर भारती पत्रिका की भी एक स्थायी निधि (Corpus fund) हो।
प्रगतिशील समाजवादी सांस्कृतिक, सामाजिक शैक्षणिक आन्दोलन को सम्बल प्रदान करने हेतु आप समय-समय सभी को सामाजिक दायित्व के रूप में आर्थिक सहयोग करते रहे हैं। विख्यात सिने व नाट्य कलाकार और सामाजिक क्षेत्र में कार्यरत् साधारण कार्यकर्ताओं के प्रेरक नीळू फुले के बहुआयामी व्यक्तित्व तथा बहुविध सामाजिक-सांस्कृतिक योगदान पर आन्तर भारती एक विशेषांक प्रकाशित करना चाहता है।
आपसे विनम्र अनुरोध है कि इस विशेषांक में आपकी संस्था, फर्म का विज्ञापन देकर आन्दोलन को सम्बल प्रदान करें। विज्ञापन तो केवल निमित्त मात्र है, मूल भावना यही है कि धनाभाव के कारण इस सामाजिक-शैक्षणिक आन्दोलन की धार कुन्द न पड़ जाए या यह बन्द ही ना हो जाए। हमें विश्वास है कि इस उदात्त कार्य में आप अवश्य सहभागी बनेंगे।
आपका सहयोगाकांक्षी,
प्राचार्य सदाविजय आर्य
सचिव, आन्तर भारती, पुणे
एवं
मुख्य सम्पादक
आन्तर भारती मासिक पत्रिका