बलसागर भारत होवो। विश्वात शोभुनी राहो ।।धृ।।
हे कंकण करि बान्धियले जनसेवे जीवन दिधले राष्ट्रार्थ प्राण हे ठरले मी सिध्द मरायाला हो। बलसागर भारत होवो ।।1।।
वैभवी देश चढवीन सर्वस्वी त्यास अर्पिन तिमिर घोर संहारीन या बन्धु सहाय्याला हो। बल सागर भारत होवो ।।2।।
हातात हात घालून हृदयास हृदय जोडून ऐक्याचा मंत्र जपून या कार्य करायाला हो। बलसागर भारत होवो ।।3।।
करि दिव्य पताका घेऊ प्रिय भारत गीते गाऊ विश्वास पराक्रम दावू ही माय निजपदा लाहो। बलसागर भारत होवो ।।4।।
या उठा करू हो सार्थ सम्पादु दिव्य पुरूषार्थ जीवन हे ना तरि व्यर्थ भाग्यसूर्य तळपत राहो। बलसागर भारत होवो ।।5।।
मी माय थोर होईल वैभव दिव्य शोभेल जगतास शान्ति देईल तो सोन्याचा दिस येवो। बलसागर भारत होवो ।।6।। – साने गुरूजी |
बलसागर होवे भारत विश्व में रहे अपराजित ।।धृ।।
ये कंकण बान्ध कर में जीवन हो जनसेवा में हों प्राण राष्ट्र के हित में मैं मरने को भी उद्यत बलसागर होवे भारत ।।1।।
वैभव दिलाऊँ इसको सर्वस्व सौंप दूँ इसको तिमिर घोर संहारन को तुम बन्धु बनो सहायक बलसागर होवे भारत ।।2।।
हाथों में हाथ मिलाकर हृदयों से हृदय जुड़ाकर एकता मंत्र अपनाकर हो जाएँ कार्यों में रत् बलसागर होवे भारत ।।3।।
कर ऊँची दिव्य पताका गूँजाओं गीत भारत का विश्व में पराक्रम इसका दिग्-दिगन्त गूँजे स्वागत बलसागर होवे भारत ।।4।।
अब उठो श्रम करो सार्थ दिखलाना है पुरुषार्थ यह जीवन ना हो व्यर्थ चमकाओ भाग्य का सूरज बलसागर होवे भारत ।।5।।
भारत माँ फिर संवरेगी प्रभुता भी दिव्य पाएगी विश्व में शान्ति लाएगी वह स्विर्णम दिन है निश्चित बलसागर होवे भारत ।।6।। – हिन्दी अनुवाद लीना महेन्दळे |
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