जुलाई 2008
आन्तर भारती विश्वस्त मण्डल की राष्ट्रीय कार्यकारणी बैठक दिनांक 31 मई 2008 को आनन्द मोहन माथुर सभागृह, इन्दौर में सम्पन्न हुई। पूज्य साने गुरुजी के गीत “धर्म तो एक ही सच्चा…´´ से इसकी कार्यवाही आरम्भ हुई।
इसमें जो महत्वपूर्ण निर्णय लिये गये, वे निम्नानुसार हैं :-
प्रादेशिक संगठन आन्तर भारती के प्रदेशिक संगठन का प्रसार करने और स्थानीय स्तर पर उसे मजबूत करने पर विचार हुआ। निम्नांकित साथियों को इसका दायित्व सौंपा गया है –
1. श्री एन. सुभाष और श्री गीरिश वाळिंदे : गोवा
2. श्री गीरिश वाळिंदे और श्री महाजन : महाराष्ट्र
3. श्री तपन भट्टाचार्य और अमित : मध्य प्रदेश
4. श्री मनोज व्यास : राजस्थान
5. श्री यादव राजू : आन्ध्र प्रदेश
6. श्री श्रवण कुमार : बिहार
7. श्री हरि बिस्वास : अरुणचल प्रदेश
आगामी कार्यक्रम
1. वर्ष 2008 का बाल आनन्द महोत्सव अक्तूबर-नवम्बर में मेहसाणा, गुजरात में आयोजित होगा।
2. वर्ष 2009 का बाल आनन्द महोत्सव बीकानेर, राजस्थान में आयोजित होगा।
संगठन की ओर से बाल आनन्द महोत्सव के संयोजन का कार्यभार श्री शशीकान्त डोंगरे सम्भालेंगे।
कार्यक्रम –
आन्तर भारती की पहचान अपने कार्यक्रमों से है। इनका आयोजन सुचारु रूप से हो और कार्यक्रमों के माध्यम से संगठन अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचे, इस उद्देश्य से कार्यक्रमों के आयोजन व क्रियान्वयन में अधिक दक्षता की आवश्यकता महसूस की गई। निम्नलिखित कार्यक्रम संगठन के नियमित कार्यक्रम हैं, इनका सभी स्थानों पर और मिलजुल कर आयोजन हो –
1. शिक्षक मूल्य प्रबोधन शिविर – इनका आयोजन यथासम्भव सभी स्थानों पर हो।
2. साने गुरुजी जयन्ती (24 दिसम्बर) – इस निमित्त औराद शहाजानी (महाराष्ट्र) 23 वर्षों से रक्त सहयोग (रक्तदान), नेत्र सहयोग (नेत्रदान) और देहदान के लिये लोगों को प्रेरित किया जाता है। यह कार्यक्रम देश में अन्य स्थानों पर भी हो, यह सुझाव दिया गया।
3. पाठशाला प्रयोग – इसमें प्रत्येक कक्षा को एक भारत के किसी एक प्रान्त का नाम दे दिया जाता है। प्रत्येक विद्यार्थी से अपेक्षा रहती है कि वह उस प्रान्त की भाषा का के कुछ वाक्य बोलना सीखें, पहनावा, आहार, त्यौहार, महापुरुष, पर्यटन स्थल, आदि के विषय में जानकारी एकत्र करें और वर्ष में किसी एक दिन, 15 अगस्त, 26 जनवरी या विद्यालय के किसी समारोह में प्रत्येक कक्षा के विद्यार्थी अपने प्रान्त की वेशभूषा में आएँ। यह भारत को जोड़ने वाला और बच्चों को अन्य प्रदेशों के इतिहास, भूगोल, संस्कृति के विषय में जानने की जिज्ञासा जागृत करने वाला कार्यक्रम है। यह भी महाराष्ट्र में सफलतापूर्वक चल रहा है। इसे अन्य प्रान्तों में भी किया जा सकता है।
4. साहस यात्रा – पर्वतारोहण के अनेक कार्यक्रम हो चुके हैं। प्रस्ताव दिया गया कि गोवा से मुम्बई तक `सागर यात्रा´ का आयोजन किया जाए। इसकी सम्भावना की तलाश का दायित्व श्री एन. सुभाष ने लिया।
5. गुजरात सन्दर्शन – शिक्षा के क्षेत्र में गुजरात में कई प्रयोग किये जा रहे हैं। जो समूह गुजरात की शैक्षणिक संस्थाओं के भ्रमण पर आना चाहते हैं, वे श्री हर्षद भाई रावल से सम्पर्क करें।
आन्तर भारती की ओर से पुरस्कार समिति श्री अमर हबीब के नेतृत्व में कार्य करेगी। राष्ट्रीय कार्यालय अब तक संगठन का कार्यालय पुणे में था, अब वह औराद शहाजानी से संचालित होगा। इसके लिये कार्यवाही करने तथा कार्यालय संचालन का दायित्व विश्वस्त सचिव प्रचार्य सदाविजय आर्य को सौंपा गया। आन्तर भारती पत्रिका आन्तर भारती पत्रिका को अधिक प्रभावी बनाने के लिये उसकी पृष्ठसंख्या बढ़ाने तथा पत्रिका में छपने वाली सामग्री की गुणवत्ता सुधारने की बात हुई। पत्रिका का आजीवन सदस्यता शुल्क 500 रुपये किया गया। इसी के साथ सालाना शुल्क 50 रुपये तथा एक प्रति का मूल्य 5 रुपये किया गया। पत्रिका के लिए कोष जुटाने और उसके प्रबन्धन का कार्य श्री कृष्णमंगल सिंह कुलश्रेष्ठ के नेतृत्व में किया जाएगा।