जुलाई 2009
प्रसिद्ध पत्रकार, प्रतिबद्ध कार्यकता, एवं आन्तर भारती के लिये समर्पित वरीष्ठ साथी श्री यदुनाथ थत्ते के पुण्य स्मरण एवं पण्ढरपुर में अछूतों के प्रवेश हेतु साने गुरूजी के सत्याग्रह की पावन स्मृति में आन्तर भारती प्रतिवर्ष कार्यक्रम का आयोजन करता है। इस बार 10 मई को इसका आयोजन डिवाईन चाइल्ड स्कूल, आमीपुर, मेहसाणा (गुजरात) में हुआ। इस कार्यक्रम में आन्तर भारती, पुणे के प्रमुख पदाधिकारी व अन्य सज्जन मौजूद थे। प्रस्तुत है इस कार्यक्रम की संक्षिप्त रपट।कार्यक्रम की शुरूआत श्रीमती संगीता बागडे के गाये साने गुरूजी के गीत `धर्म तो एक ही सच्चा´ से हुई। इस गीत का विविध भारतीय भाषाओं में अनुवाद श्री मुकुन्द तेलीचेरी ने प्रस्तुत किया। तत्पश्चत् प्राचार्य सदाविजय आर्य ने यदुनाथ थत्ते जी को का स्मरण करते हुए बताया कि वे उच्च कोटि के पत्रकार थे और साथ ही साने गुरूजी के सच्चे अनुयायी भी थे। आपने विस्तार से बताया कि यदुनाथ जी किस प्रकार के सामाजिक कार्यकर्ता थे। श्रोताओं को उनके `साधना´ साप्ताहिक में सफल सम्पादक के रूप में कार्य करने के विषय में भी आर्य जी ने बताया। उन्होंने कहा कि दलितों को पण्ढरपुर के मन्दिर में दलितों के प्रवेश के लिये साने गुरूजी प्रतिबद्ध थे। सदाविजय जी ने साने गुरूजी द्वारा इस उद्देश्य के लिये किये गये अनशन के विषय पर विस्तार से प्रकाश ड़ाला। श्रोताओं को आपने याद दिलाया कि `आन्तर भारती´ साने गुरूजी का सपना है। भारत विश्व एकात्मता की ओर पहल करने जा रहा है, तथापि समूचे भारत को राष्ट्रीय एकात्मता की आवश्यकता है।
कार्यक्रम में आन्तर भारती के पूर्व अध्यक्ष श्री सनत भाई मेहता, आन्तर भारती के विश्वस्त श्री पुष्कर भाई पण्ड्या, प्रा. नवले, आदि वरीष्ठ सज्जन भी उपस्थित थे। मंच पर आन्तर भारती के कोषाध्यक्ष श्री अमर हबीब, विश्वग्राम संयोजक संजय तुला, आन्तर भारती के कार्याध्यक्ष श्री हर्षद भाई रावल विराजमान थे। सत्र को आगे बढ़ाते हुए श्री मुकुन्द तेलीचेरी ने बताया कि उन्होंने साने गुरूजी को तो नहीं देखा मगर यदुनाथ जी को नज़दीक से देखा है। आपने बताया कि यदुनाथ जी प्रवास के दौरान हमेशा रिपोतार्ज के साथ-साथ सामाजिक विषयों पर भी लिखा करते थे।
आन्तर भारती के कोषाध्यक्ष और पत्रकार अमर हबीब ने विषय को आगे बढ़ाते पण्ढरपुर के विट्ठल मन्दिर में अछूतों के प्रवेश हेतु साने गुरूजी द्वारा 10 मई 1950 से आरम्भ किये अनशन के बारे में जानकरी देते हुए बताया कि साने गरूजी के अनशन के कारण ही विट्ठल मन्दिर में दलितों को प्रवेश मिला। एस. एन. जोशी ने साने गरूजी को अनशन करने के लिये मना किया था। लेकिन साने गरूजी ने अपनी आत्मा की आवाज़ का अनुगमन करते हुए विट्ठल मिन्दर के दरवाजे दलितों के लिये खुलवाने के उद्देश्य से मिन्दर के सामने अनशन आरभ किया। तुकाराम, नामदेव, गोरोबा, चोखोबा आदि बहुजन समाज के सन्तों का स्मरण करते हुए अमर हबीब ने 1932 में महात्मा गांधी के हरिजनोद्धार के कार्य एवं बाबासाहेब आम्बेडकर द्वारा नाशिक के कळाराम मिन्दर में अछूतों के प्रवेश के लिये किये आन्दोलन का भी उल्लेख किया। वर्तमान स्थिति का जिक्र करते हुए आपने कहा कि मन्दिर के दरवाजे तो खुल गये लेकिन दिलों के दरवाजे बन्द हैं। आह्वान करते हुए आपने कहा कि युवाओं को जाति और धर्म नहीं मानना चाहिए। धर्म, प्रान्तवाद और भाषावाद को बढ़ावा नहीं देना चाहिये। हर मुसलमान को आतंकवादी मानना गलत है।
आन्तर भारती के भूतपूर्व अध्यक्ष, श्री सनतभाई मेहता ने अपने ज्ञानवर्धक उद्बोधन में 1991 से उदारीकरण, वैश्वीकरण और निजिकरण का विश्लेषण करते हुए बताया कि `जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं´ की अवहेलन कारके `विलासी जीवन´ को बढ़ावा दिया जाने लगा है। देश की आर्थिक विकास दर बढ़ने पर भी गरीबी कम नहीं होती है। इस विरोधाभास पर उन्होंने प्रकाश ड़ाला। आपने कहा कि सरकारें किंगफिशर, जेट एअरवेज, डी.एल.एफ. जैसी कम्पनियों को बड़े पैमाने पर रियायतें और सुविधाएँ देती हैं, जबकि गरीब व्यक्तियों को कम ब्याज दर पर घर बनाने के लिये ऋण नहीं दिया जा रहा है। विश्व में चल रहे अहिंसक संघर्षों का जिक्र करते हुए उन्होंने तिब्बत की आज़ादी के लिये 50 वर्षों से जारी दलाई लामा के संघर्ष का विशेष उल्लेख किया। सनत भाई ने कहा कि मार्टिन लूथर किंग और महात्मा गांधी के बाद दलाई लामा सच्चाई के लिये लड़ रहे हैं। विश्व परिदृश्य पर दृष्टिपात करते हुए आन्तर भारती के पूर्व अध्यक्ष ने जानकारी दी कि स्विट्ज़रलैण्ड, स्वीडन, पोलेण्ड, आदि देशों में पहल हो रही है। अपने उद्बोधन के अन्त में आपने श्रोताओं के विविध प्रश्नों के समाधानकारक उत्तर भी दिये।
अन्त में आन्तर भारती, पुणे के कार्याध्यक्ष श्री हर्षदभाई रावल ने आभार प्रकट किया और विश्वस्त सचिव श्री सदाविजय आर्य ने अगले वर्ष 10 मई 2010 को `यदुनाथ थत्ते एवं पण्ढरपुर सत्याग्रह स्मृति समारोह´ के गुलबर्गा, कर्नाटक में मनाए जाने की घोषणा की।
-: प्रस्तुति
गंगाधर घुमाडे
1, सहजीवन सोयसायटी,
उद्गीर 413517
महाराष्ट्र